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Life Strategies Through Chess- In Hindi

 

चेस खेलने से कम होता Stress बढ़ती मेमोरी, इसकी हर बाजी में हैं जीवन के दांव-पेंच

क्या आप शतरंज खेलते हैं? अगर हां, तो आप इस 8×8 ग्रिड में 64 बराबर चौकोर वाले खेल का महत्व जरूर जानते होंगे। ये खेल सिर्फ एक खेल नहीं है, यह जीवन जीने की कला भी है।

Life Strategies Through Chess

ये सुनकर वो लोग जरूर हैरान होंगे, जो शतरंज खेलना नहीं जानते। कुछ लोग शतरंज को सिर्फ इंटेलीजेंट लोगों का गेम कहते हैं, तो कुछ लोग इसे बोरिंग समझते हैं। कारण यह है कि इसमें बहुत सब्र, प्लानिंग और दिमाग की जरूरत होती है।

शतरंज जिसे अंग्रेजी में चेस भी कहते हैं, इसे खेलना कोई बाएं हाथ का खेल नहीं है। इसमें रणनीति बनाना, चाल को चलने से पहले तीन बार सोचना, आगे की चाल की पहले से तैयारी रखना, अपनी रानी को कवर करना, धैर्य के साथ सामने वाले की चाल का इंतजार करना, अपनी चाल चलकर ओपोनेंट के मोहरे को गिराकर खुश होना। वहीं उसकी अगली चाल में चेक-मेट की स्थिति में फंस जाना। यही सब शतरंज को बेहद दिलचस्प बनाता है।

इस खेल में जीतना जितनी ज्यादा खुशी देता है, उतनी ही हार भी हमें फिर से प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है। और हम एक हार के बाद ही अपनी गलतियों को बिना दोहराए बेहतर सीखते हैं।


आज हम ‘रिलेशनशिप’ में बात करेंगे शतरंज की। साथ ही जानेंगे कि इस इंडोर गेम से होने वाले क्या लाभ हैं। साथ ही जानेंगे कि ये हमें जिंदगी जीने का तरीका कैसे सिखाता है।

शतरंज का इतिहास हजारों साल पुराना, पहले था नाम ‘चतुरंग’

कहा जाता है शतरंज का इतिहास हजारों साल पुराना है। ये दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाने वाला एक खेल है। खेल की शुरुआत 7वीं शताब्दी के आसपास ‘चतुरंग’ नाम से भारत में हुई थी, जो बाद में अरबी लोगों ने यूरोप में फैला दी। फिर इसकी तरक्की 19वी शताब्दी में हुई थी।

इस खेल में दोनों खिलाड़ियों के पास 16 गोटी होती हैं, जिसमें एक राजा, एक रानी, ​​दो हाथी, दो ऊंट, दो घोड़े, और आठ सिपाही शामिल हैं। सफेद पहले चली जाती हैं, उसके बाद काली। सामने वाले के राजा को शह देने में राजा को फौरन हमला करना ("चेक" करना) होता है, जिससे उसके बचने का कोई रास्ता नहीं है। इसमें ऐसे भी कई तरीके होते हैं, जिनसे खेल ड्रॉ में खत्म हो जाता है।

शतरंज सिखाता जीवन जीने के गुण

ये खेल हमें पहचानना सिखाता है कि कब लड़ना फायदेमंद है और कब हार मानकर आगे बढ़ना समझदारी है। जीवन में भी यही लागू होता है। पिछले अनुभव के आधार पर एक कार्य योजना विकसित करना, विपक्ष की चाल का अनुमान लगाना और तब भी सीखना और सुधार करना जारी रखना, जब कोई दूर तक सफलता प्राप्त कर चुका हो। यह सब जिंदगी में भी कहीं न कहीं लागू होता है।

शतरंज सिखाए जीवन के ये गुण

धैर्य- शतरंज में हर चाल से खेल बदलता है। उसी प्रकार जिंदगी भी ऐसे ही खेल बदलता है। तो आपको धैर्य रखकर असल जिंदगी में अपने लक्ष्य के लिए सही कदम का चुनाव करके कदम उठाना है।

दो कदम आगे चार कदम पीछे- जिंदगी में सफल होने के लिए हमेशा आगे बढ़ना जरूरी नहीं है। परिस्थितियों के अनुसार अपने कदम पीछे भी लेने पड़ते हैं। फिर दोबारा सोच-समझकर सही समय पर सही कदम बढ़ाने होते हैं।

गलतियों से सीखना- इस खेल में सबकुछ अपने मुताबिक नहीं होता है। कभी कभी खुद की गलती से बाजी सामने वाले के पाले में चली जाती है। अपनी जिंदगी में भी हम चाहे जितनी योजनाएं बनाएं, लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार नतीजा अपने पक्ष में आये। अगर नतीजा अपने मुताबिक नहीं भी हो, तो भी हमें हार नहीं माननी चाहिए। फिर से प्रयास करना चाहिए।

पैनिक अटैक कम करने में चेस असरदार, कहती है स्टडी

शतरंज सिर्फ एक खेल नहीं है, यह इससे भी कई ज्यादा है। यह न केवल जीवन जीने के गुण सिखाता है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी काफी कारगर है। ये आपको पैनिक अटैक के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है।

इस पर कोई बड़े पैमाने पर अध्ययन नहीं किया गया है। लेकिन 2017 में की गई एक स्टडी में बताया गया है कि एक व्यक्ति जिसे पैनिक अटैक आया था, उसने शांति के लिए और पैनिक अटैक को बढ़ने से रोकने के लिए फोन पर शतरंज खेलकर इस पर काबू पाया था।

शतरंज डिमेंशिया जैसी बीमारी को भी कम कर सकता है

2019 की रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि शतरंज से वृद्ध लोगों को डिमेंशिया से बचाने में मदद की जा सकती है। शोधकर्ताओं को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि यह खेल, जो कौशल और जरूरी सोचने की स्किल को चुनौती देता है। साथ ही आपकी उम्र बढ़ने के साथ डिमेंशिया के प्रभावों को कम करने में भी मदद कर सकता है।

अल्जाइमर्स एसोसिएशन के मुताबिक, दुनिया में 47.5 मिलियन लोग डिमेंशिया, विशेष रूप से अल्जाइमर रोग से पीड़ित हैं। हर साल इसके 7.7 मिलियन नए मामले सामने आते हैं।

शतरंज हमें दूसरों के मन की बात जानने के गुण भी सिखा सकता है

जैसे की शतरंज में हम अपने ओपोनेंट की अगली चाल के बारे में कई बार पता लगा लेते हैं। उसी के बाद हम अपनी चाल चलते हैं। उसी तरह शतरंज हमें जिंदगी में भी दूसरों के मन की धारणा के बारे में पता लगाने में मदद कर सकता है।

2019 में इस पर एक स्टडी भी की गई है। इसमें बताया गया है कि कुशल शतरंज खिलाड़ी प्रतिद्वंद्वी की अगली चाल का अनुमान लगाना सीखते हैं। यह अनुमान लगाने के लिए कि कोई इंसान आगे क्या करेगा, एक खिलाड़ी को दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण को अपनाने की क्षमता डेवलप करनी होगी।

बिहेवेरियल सांइटिस्ट दूसरे दृष्टिकोण से देखने की इस क्षमता को "थ्योरी ऑफ माइंड" कहते हैं। यह एक ऐसी क्षमता है, जो सहानुभूति दिखाने और स्वस्थ सामाजिक संबंध बनाने के लिए जरूरी है।

Life Strategies Through Chess

प्रेमचंद ने बताया शतरंज देता है खुशी

मुंशी प्रेमचंद ने भी 1924 में एक किताब लिखी थी-‘शतरंज के खिलाड़ी’। इस किताब में दो अमीर किरदार बताए गए हैं, जो शतरंज के लिए अपनी जान तक दे देते हैं। यह कहानी वाजिद अलीशाह जिनका शासनकाल (1847- 1856) तक लखनऊ में था, उस समय के समाज का चित्रण है। इस पर सत्यजीत रे ने एक फिल्म भी बनाई थी।

बच्चों की मेमोरी बढ़ाने में शतरंज मददगार

2019 की स्टडी में यह भी पाया गया कि शतरंज खेल की प्रैक्टिस करने वाले बच्चों में पर्सपेक्टिव डेवलप होता है।

बता दें कि ‘मैग्नस’, ‘ब्रुकलिन कैसल’ और ‘द क्वीन ऑफ कैटवे’, इन सभी फिल्मों में युवाओं को कॉम्पिटिटिव चेस की दुनिया में महानता की ओर बढ़ते हुए दिखाया गया है।

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