क्या आप भी घंटों तक बैठते हैं? - LIFESTYLE BLOG

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क्या आप भी घंटों तक बैठते हैं?

 

क्या आप भी दिनभर कुर्सी पर बैठे रहते हैं? जानिए इससे बचने के सरल उपाय!

क्या आप भी दिनभर कुर्सी पर बैठे रहते हैं? जानिए इससे बचने के सरल उपाय!


आपका दिन कैसे शुरू होता है? अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिनका अधिकांश समय कुर्सी पर बैठकर काम करते बीतता है, तो आप अकेले नहीं हैं। आज की सिडेंटरी लाइफस्टाइल ने हमें कुर्सी पर बैठने की आदत में डाल दिया है, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

हाल ही में, ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, भारत में केवल 11% लोग ही नियमित रूप से कोई फिजिकल एक्टिविटी या एक्सरसाइज करते हैं। इसका मतलब है कि अधिकांश लोग दिनभर कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।


आज के इस ब्लॉग में, "Life Vibes with Sakshi" पर, हम 10 सरल योग आसनों के बारे में बात करेंगे जो आप आसानी से घर पर कर सकते हैं। ये आसन आपकी दिनभर की कुर्सी की आदतों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं और आपकी सेहत को बेहतर बना सकते हैं।

तो चलिए, जानते हैं ये योग आसन और उनके फायदे, ताकि आप भी अपने दिन को स्वस्थ बना सकें और कुर्सी पर बैठे रहने के नुकसान से बच सकें।


1. अर्धकटि चक्रासन (Ardha Kati Chakrasana)
विधि: इस आसन को खड़े होकर किया जाता है। दोनों पैरों को खोलें और हाथों को जांघों पर रखें। सांस अंदर की ओर खींचते हुए दाहिने हाथ को ऊपर उठाएं और सीलिंग की ओर स्ट्रेच करें। फिर सांस छोड़ते हुए हाथ को बाईं ओर झुकाते हुए स्ट्रेच करें। इसी अवस्था में 5 तक गिनें और फिर सामान्य पोजीशन में लौटें। इसी प्रक्रिया को दूसरे हाथ से दोहराएं।
लाभ: यह आसन कमर के चारों ओर जमा फैट को घटाने में मदद करता है और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।
नोट: जिनकी हाल-फिलहाल में एबडॉमिनल सर्जरी हुई है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।

2. परिव्रत त्रिकोणासन (Parivrtta Trikonasana)
विधि: इस आसन को खड़ी अवस्था में किया जाता है। दाएं पैर को दाईं दिशा में मोड़ें और हाथों को कंधों के लेवल पर स्ट्रेच करें। सांस छोड़ते हुए बाएं हाथ से दाहिने पैर को छूएं और दाहिना हाथ ऊपर की ओर स्ट्रेच करें। 5 से 10 तक गिनते हुए सांस लें और फिर दूसरी ओर भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
लाभ: यह आसन स्पाइन को लचीला बनाता है, लोअर बैक के तनाव को कम करता है और किडनी फंक्शन को बेहतर करता है।
नोट: जिनकी हाल ही में स्पाइनल सर्जरी या हार्निया का ऑपरेशन हुआ है, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।

3. मलासन (Malasana)
विधि: जांघों को खोलकर जमीन पर बैठें। पंजे जांघों की दिशा में खुले हों और हाथों को जोड़ें। कोहनियों से पैरों को दबाएं और छाती को खुला रखें। इस अवस्था में 10 से 20 मिनट तक बैठ सकते हैं। आप पंजों के बल चलने का भी अभ्यास कर सकते हैं।
लाभ: यह आसन पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और महिलाओं की रीप्रोडक्टिव हेल्थ को सुधारता है।
नोट: जिनकी हाल-फिलहाल में एबडॉमिनल सर्जरी हुई है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।

4. बद्धकोणासन (Baddhakonasana)
विधि: जमीन पर पालथी मारकर बैठ जाएं और पंजों और एड़ी को जोड़ें। हाथों से पंजों को पकड़ें और पैरों को ऊपर-नीचे मूव करें। इस दौरान सामान्य ढंग से सांस लेते रहें।
लाभ: यह आसन हिप मोबिलिटी को सक्रिय करता है, कमर के हिस्से में ब्लड फ्लो बेहतर करता है और रीप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए उपयोगी है।
नोट: जिनकी हाल-फिलहाल में एबडॉमिनल सर्जरी हुई है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।

5. भुजंगासन (Bhujangasana)
विधि: छाती के बल जमीन पर लेट जाएं और ठोड़ी को जमीन से छुआएं। हाथों के पंजों को जमीन पर रखें और सिर और अपर बॉडी को ऊपर की ओर उठाएं। इस अवस्था में 5 से 10 बार सांस लें।
लाभ: यह आसन पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और अस्थमा व ब्रॉन्काइटिस के रोगियों के लिए उपयोगी है।
नोट: जिनकी स्पाइनल सर्जरी हुई है या सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस है, उन्हें इस आसन में सावधानी बरतनी चाहिए।

6. धनुरासन (Dhanurasana)
विधि: छातियों के बल जमीन पर लेट जाएं और दोनों पैरों को उठाकर हाथों से एंकल को पकड़ें। सांस भीतर खींचते हुए सिर, छाती और जांघों को ऊपर की ओर उठाएं। इस अवस्था में 5 से 10 बार सांस लें।
लाभ: यह आसन डायबिटीज के रोगियों के लिए उपयोगी है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
नोट: जिनके पेप्टिक अल्सर या हार्निया है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।

7. बाल आसन (Balasana)
विधि: वज्रासन की अवस्था में बैठें और हाथों को ऊपर उठाएं। फिर शरीर को नीचे की ओर ले जाएं और माथे को जमीन पर रखें। इसी अवस्था में 5 से 10 बार सांस लें।
लाभ: यह आसन पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और स्पाइनल कॉर्ड का तनाव कम करता है।
नोट: जिनके हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है या स्लिप डिस्क है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।

8. सेतुबंधासन (Setu Bandhasana)
विधि: पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को मोड़ें। नितंबों, जांघों, और छाती को ऊपर की ओर उठाएं। इस अवस्था में 5 से 10 बार सांस लें।
लाभ: यह आसन स्पाइन को सीधा रखता है, पीठ के दर्द को दूर करता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
नोट: जिनके पेप्टिक अल्सर या हार्निया है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।

9. नाड़ी शोधासन (Nadi Shodhana)
विधि: बाईं हथेली को चिन्ह की मुद्रा में रखें और दाईं नासिका को अंगूठे से दबाकर बाईं नासिका से सांस भीतर खींचें। फिर दाईं नासिका से सांस छोड़ें।
लाभ: यह आसन नासिका मार्ग को साफ करता है, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और एलर्जी के लिए उपयोगी है।
नोट: अत्यधिक सर्दी-जुखाम या बलगम होने पर इसे नहीं करना चाहिए।

10. भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama)
विधि: अंगूठों से कानों को दबाएं, बाकी उंगलियों को सिर पर रखें और नाक से भ्रमर की तरह आवाज निकालें। 6 से 9 बार इसे दोहराएं।
लाभ: यह आसन स्ट्रेस, एंग्जाइटी, और इंसोम्निया को दूर करता है और शरीर की हीलिंग क्षमता बढ़ाता है।

FAQ

1. अर्धकटि चक्रासन (Ardha Kati Chakrasana)

Q: अर्धकटि चक्रासन करते समय कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
A: जिनकी हाल-फिलहाल में एबडॉमिनल सर्जरी हुई है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।

Q: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से कौन से लाभ होते हैं?
A: यह आसन कमर के चारों ओर जमा फैट को घटाने में मदद करता है और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।


2. परिव्रत त्रिकोणासन (Parivrtta Trikonasana)

Q: परिव्रत त्रिकोणासन के दौरान शरीर की स्थिति कैसी होनी चाहिए?
A: दाएं पैर को दाईं दिशा में मोड़ें और हाथों को कंधों के लेवल पर स्ट्रेच करें। बाएं हाथ से दाहिने पैर को छूएं और दाहिना हाथ ऊपर की ओर स्ट्रेच करें।

Q: इस आसन का अभ्यास किसे करना चाहिए?
A: यह आसन स्पाइन को लचीला बनाता है, लोअर बैक के तनाव को कम करता है और किडनी फंक्शन को बेहतर करता है।


3. मलासन (Malasana)

Q: मलासन करते समय कितनी देर बैठना चाहिए?
A: इस आसन में 10 से 20 मिनट तक बैठ सकते हैं।

Q: क्या मलासन का अभ्यास सभी के लिए सुरक्षित है?
A: जिनकी हाल-फिलहाल में एबडॉमिनल सर्जरी हुई है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।


4. भुजंगासन (Bhujangasana)

Q: भुजंगासन करते समय कितनी बार सांस लेना चाहिए?
A: इस आसन को करते समय 5 से 10 बार सांस लें।

Q: इस आसन से कौन से स्वास्थ्य लाभ होते हैं?
A: यह आसन पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और अस्थमा व ब्रॉन्काइटिस के रोगियों के लिए उपयोगी है।


5. धनुरासन (Dhanurasana)

Q: धनुरासन करते समय पैरों की स्थिति कैसी होनी चाहिए?
A: दोनों पैरों को उठाकर हाथों से एंकल को पकड़ें और सांस भीतर खींचते हुए सिर, छाती और जांघों को ऊपर की ओर उठाएं।

Q: कौन लोग इस आसन से बचें?
A: जिनके पेप्टिक अल्सर या हार्निया है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।


6. सेतुबंधासन (Setu Bandhasana)

Q: सेतुबंधासन करते समय कितनी देर तक स्थिति बनाए रखें?
A: इस आसन में 5 से 10 बार सांस लें।

Q: इस आसन का अभ्यास कौन नहीं कर सकता?
A: जिनके पेप्टिक अल्सर या हार्निया है, उन्हें यह आसन अवॉइड करना चाहिए।


7. नाड़ी शोधासन (Nadi Shodhana)

Q: नाड़ी शोधासन करते समय नासिका की स्थिति कैसी होनी चाहिए?
A: बाईं नासिका से सांस भीतर खींचें और दाईं नासिका से सांस छोड़ें।

Q: इस प्राणायाम का क्या मुख्य लाभ है?
A: यह प्राणायाम नासिका मार्ग को साफ करता है, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और एलर्जी के लिए उपयोगी है।

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