Family Relationship
आजकल परिवार में सामंजस्य बैठा पाना सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि कहीं पिता-पुत्र में नहीं बनती तो, कहीं भाई-भाई की बात नहीं सुनता। परिवार के सदस्यों के सामंजस्य न बैठ पाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- एक-दूसरे से सोच न मिलना, परिवार की जिम्मेदारियों को लेकर मनमुटाव, जनरेशन गेप आदि। ऐसे मामलों में अंतत: एक परिवार अनेक परिवारों में बंट जाता है। इसका असर आने वाली पीढ़ी पर पड़ता है। बच्चे संयुक्त परिवार के प्यार से वंचित रह जाते हैं। अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो परिवार में सामंजस्य बनाया जा सकता है।
महाभारत में परिवार प्रबंधन और परिवार की भूमिका को कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है। इस महाकाव्य में परिवार के विभिन्न पहलुओं और उनके प्रबंधन के महत्वपूर्ण शिक्षाएं शामिल हैं। यहां कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं जो परिवार प्रबंधन को समझने में मदद करेंगे:
1. धर्म और कर्तव्य (Dharma and Duty):
- धर्म का पालन: महाभारत में परिवार के सदस्य अपने धर्म (कर्तव्य) का पालन करने के लिए प्रेरित होते हैं। राजा, राजकुमारी, और साधारण लोग सभी को अपने कर्तव्यों का पालन करना सिखाया जाता है। यह सिखाता है कि हर व्यक्ति को अपने परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए।
- धर्मक्षेत्र में कर्तव्य: युधिष्ठिर और उनके भाई धर्म का पालन करते हैं और परिवार की भलाई के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास करते हैं। यह दर्शाता है कि परिवार के प्रति कर्तव्यों को निभाना महत्वपूर्ण है।
2. संघर्ष और समाधान (Conflict and Resolution):
- परिवार में संघर्ष: महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष परिवारिक विवादों का एक उदाहरण है। यह सिखाता है कि परिवार के भीतर विवादों को सुलझाना कितना जरूरी है और समाधान के लिए समझदारी और समर्पण की आवश्यकता होती है।
- समाधान की प्रक्रिया: संघर्षों को सुलझाने के लिए समझौते और संवाद का महत्व है। भीष्म पितामह, धृतराष्ट्र, और विदुर जैसे पात्र परिवारिक समस्याओं के समाधान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3. समानता और सम्मान (Equality and Respect):
- समानता का महत्व: महाभारत में समानता और सम्मान के महत्व को बताया गया है। द्रौपदी और अन्य पात्रों को समानता और सम्मान का महत्व समझाया जाता है। यह परिवार के सभी सदस्यों के बीच समानता और आदर की आवश्यकता को दर्शाता है।
- सभी का सम्मान: हर सदस्य को सम्मान देना और उनके अधिकारों का सम्मान करना परिवार की शांति और सामंजस्य के लिए आवश्यक है।
4. अर्थव्यवस्था और प्रबंधन (Economy and Management):
- धन और संसाधनों का प्रबंधन: महाभारत में धन और संसाधनों के प्रबंधन पर भी ध्यान दिया गया है। परिवार की आर्थिक स्थिति को बनाए रखना और संसाधनों का उचित प्रबंधन करना परिवार की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
- उचित नियोजन: दुर्योधन और युधिष्ठिर जैसे पात्र अपने-अपने तरीके से परिवार और राज्य के प्रबंधन में योगदान करते हैं, जो संसाधनों के उचित प्रबंधन का एक उदाहरण है।
5. शिक्षा और आचार-विचार (Education and Conduct):
- शिक्षा का महत्व: परिवार में शिक्षा और सही आचार-विचार का महत्व महाभारत में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। कृष्ण और द्रोणाचार्य जैसे गुरु अपने शिष्यों को सही आचार और शिक्षा देते हैं, जो परिवार के विकास और सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
- आचार-विचार का पालन: परिवार के सदस्य को अच्छा आचार-विचार और नैतिकता का पालन करना चाहिए। यह परिवार में शांति और सहयोग बनाए रखने में मदद करता है।
युधिष्ठिर की एक गलती भारी पड़ी पांडवों पर
घर का मुखिया सिर्फ परिवार ही नहीं चलाता है, उसके कर्मों पर ही परिवार का भविष्य टिका होता है। मुखिया का एक गलत निर्णय परिस्थितियों को पूरी तरह विपरीत कर सकता है। परिवार का मुखिया पंक्ति में खड़े पहले व्यक्ति की तरह होता है। जो जैसा खड़ा होता है, कतार में शेष लोग भी वैसे ही खड़े होते हैं। अगर आप पंक्ति में पहले खड़े हैं तो सावधान हो जाइए। परिवार चलाना भी ऐसा ही काम है।
युधिष्ठिर परिवार के मुखिया थे। महाभारत में उन्हें धर्मराज भी कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे धर्म का विशेष ज्ञान रखते थे, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने एक बहुत बड़ी गलती कर दी, जिसके कारण पांडवों को वनवास जाना पड़ा और दु:ख भोगने पड़े। जुआ खेलने की लत सिर्फ युधिष्ठिर को थी। दुर्योधन से जुआ भी उन्होंने अकेले ही खेला। लेकिन परिणाम सबने भुगता। द्रौपदी का चीरहरण हो गया। पांचों भाइयों को वन में जाना पड़ा। राजपाठ हाथ से चला गया। सुंदर नगर इंद्रप्रस्थ भी दुर्योधन ने जीत लिया। कर्म सिर्फ एक ही गलत था जुआ। युधिष्ठिर अगर जुआ नहीं खेलते तो शायद इतना अपमानित नहीं होना पड़ता। यदि आप परिवार के मुखिया हैं तो आपकी जिम्मेदारी भी ज्यादा है। निजी आनंद, निजी स्वार्थ के लिए कोई ऐसा काम ना करें, जिसका परिणाम पूरे परिवार को भुगतना पड़े। जब भी कोई निर्णय लें तो यह सोच कर लें कि उसका परिणाम आपके पूरे परिवार को भुगतना पड़ सकता है। कभी भी सिर्फ निजी शौक या हित के लिए ही कोई काम ना करें। हमेशा दूरदृष्टि का उपयोग करें।
Conclusion
महाभारत से हमें यह सीखने को मिलता है कि परिवार के प्रबंधन में धर्म और कर्तव्य, संघर्षों का समाधान, समानता और सम्मान, संसाधनों का प्रबंधन, और शिक्षा का महत्व अत्यधिक है। इन सिद्धांतों को अपनाकर, हम अपने परिवार को एक मजबूत और सामंजस्यपूर्ण इकाई बना सकते हैं।
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